दरअसल, सत्तारूढ़ भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए राज्यपाल को वीरभद्र सरकार के दौरान चार्जशीट सौंपते हुए कई मंत्रियों व अफसरों पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए थे।
तत्कालीन सरकार ने तो मामले की जांच नहीं की लेकिन भाजपा की जयराम सरकार सत्तारूढ़ हुई तो चार्जशीट की जांच के आदेश दे दिए गए। भाजपा चार्जशीट में आरोप लगाए गए थे कि एचआरटीसी ने प्राइवेट पंपों से आठ करोड़ लीटर तेल भरवाया जबकि अपने पंपों से मात्र एक करोड़ लीटर ही तेल भरा गया।
इस तरह अपने पंपों की तुलना में करीब सात करोड़ लीटर तेल प्राइवेट पंपों से भरवाया गया। जांच एजेंसी ने इस संबंध में रिकॉर्ड खंगाला लेकिन कुछ ठोस नहीं मिल सका।
सूत्रों की मानें तो हाल ही में विजिलेंस ने मामले की जांच बंद करने की सिफारिश की थी जिसके बाद दो दिन पहले शासन में उच्च स्तर की बैठक हुई। बैठक में चर्चा के बाद सरकार ने इसे विजिलेंस को फिर से जांच के लिए भेज दिया है।
सूत्रों की मानें तो सरकार चार्जशीट में लगाए आरोपों से जुड़े मामलों को एक के बाद एक बंद करने में जल्दबाजी नहीं करना चाह रही। साथ ही यह भी नहीं चाहती कि जांच में किसी तरह की चूक रह जाए और इसका फायदा विपक्ष को पहुंचे। यही वजह है कि जांच दोबारा कराने के लिए निर्देश दे दिए गए हैं।